लघु कथाएं

Thursday, August 10, 2017

मुण्डन

5:03 AM
किसी देश की संसद में एक दिन बड़ी हलचल मची। हलचल का कारण कोई राजनीतिक समस्या नहीं थी, बल्कि यह था कि एक मंत्री का अचानक मुण्डन हो गया था। कल तक उनके सिर पर लंबे घुंघराले बाल थे, मगर रात में उनका अचानक मुण्डन हो गया था। सदस्यों में...

Monday, May 11, 2015

मलबे का मालिक

12:38 AM
मोहन राकेश साढ़े सात साल के बाद वे लोग लाहौर से अमृतसर आये थे। हॉकी का मैच देखने का तो बहाना ही था, उन्हें ज़्यादा चाव उन घरों और बाज़ारों को फिर से देखने का था जो साढ़े सात साल पहले उनके लिए पराये हो गये थे। हर सडक़ पर मुसलमानों की कोई-न-कोई...

Saturday, May 9, 2015

गिल्लू

4:13 AM
महादेवी वर्मा सोनजुही में आज एक पीली कली लगी है। इसे देखकर अनायास ही उस छोटे जीव का स्मरण हो आया, जो इस लता की सघन हरीतिमा में छिपकर बैठता था और फिर मेरे निकट पहुँचते ही कंधे पर कूदकर मुझे चौंका देता था। तब मुझे कली की खोज रहती थी, पर...

Friday, May 8, 2015

गत्ती भगत

3:25 AM
भैरव प्रसाद गुप्त उस दिन जिधर सुनो, गाँव में छोटे-बड़े सभी के मुँह से अफ़सोस और ताज्जुब के साथ एक ही बात सुनाई दे रही थी, 'गत्ती भगत की कण्ठी टूट गयी!' कण्ठी पहनने और तोडऩे, दोनों की शोहरत गाँवों में एक ही तरह फैलती है। हाँ, पहनने...

Thursday, May 7, 2015

अनमोल भेंट

5:25 AM
रवीन्द्रनाथ टैगोर रायचरण बारह वर्ष की आयु से अपने मालिक का बच्‍चा खिलाने पर नौकर हुआ था। उसके पश्चात् काफ़ी समय बीत गया। नन्हा बच्‍चा रायचरण की गोद से निकलकर स्कूल में प्रविष्ट हुआ, स्कूल से कॉलिज में पहुँचा, फिर एक सरकारी स्थान पर लग...

Wednesday, May 6, 2015

भिखारिन

11:30 PM
रवीन्द्रनाथ टैगोर अन्धी प्रतिदिन मन्दिर के दरवाजे पर जाकर खड़ी होती, दर्शन करने वाले बाहर निकलते तो वह अपना हाथ फैला देती और नम्रता से कहती- ''बाबूजी, अन्धी पर दया हो जाए।'' वह जानती थी कि मन्दिर में आने वाले सहृदय और श्रध्दालु हुआ...

सरदार जी

3:59 AM
ख्वाजा अहमद अब्बास लोग समझते हैं सरदार जी मर गये। नहीं यह मेरी मौत थी। पुराने मैं की मौत। मेरे तअस्सुब (धर्मान्धता) की मौत। घृणा की मौत जो मेरे दिल में थी। मेरी यह मौत कैसे हुई, यह बताने के लिए मुझे अपने पुराने मुर्दा मैं को जिन्दा...