लघु कथाएं

Monday, May 4, 2015

हैवानियत


सआदत हसन मंटो
मियाँ-बीवी बड़ी मुश्किल से घर का थोड़ा-सा सामान बचाने में कामयाब हो गए।
एक जवान लड़की थी, उसका पता न चला।
एक छोटी-सी बच्ची थी, उसको माँ ने अपने सीने के साथ चिमटाए रखा।
एक भूरी भैंस थी, उसको बलवाई हाँककर ले गए।
एक गाय थी, वह बच गई; मगर उसका बछड़ा न मिला।
मियाँ-बीवी, उनकी छोटी लड़की और गाय एक जगह छुपे हुए थे।

सख़्त अँधेरी रात थी।

बच्ची ने डरकर रोना शुरू किया तो ख़ामोश माहौल में जैसे कोई ढोल पीटने लगा।
माँ ने डरकर बच्ची के मुँह पर हाथ रख दिया कि दुश्मन सुन न ले। आवाज़ दब गई। सावधानी के तौर पर बाप ने बच्ची के ऊपर गाढ़े की मोटी चादर डाल दी।

थोड़ी दूर जाने के बाद दूर से किसी बछड़े की आवाज़ आई।

गाय के कान खड़े हो गए। वह उठी और पागलों की तरह दौड़ती हुई डकराने लगी। उसको चुप कराने की बहुत कोशिश की गई, मगर बेकार…
शोर सुनकर दुश्मन क़रीब आने लगा। मशालों की रोशनी दिखाई देने लगी।

बीवी ने अपने मियाँ से बड़े गुस्से के साथ कहा—“तुम क्यों इस हैवान को अपने साथ ले आए थे?”

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